छेरछेरा धूम : छत्तीसगढ़ का पारंपरिक पर्व छेरछेरा शहर व ग्रामीण क्षेत्रों में मनाया गया धूमधाम से ,सभी ने किया अन्नदान, देखिए वीडियो


कोरबा,छत्तीसगढ़ का महापर्व छेरछेरा धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है। शहर व गांवों में बच्चे-बड़ों की टोली घर-घर जाकर छेरछेरा त्योहार का दान ले और दे रहे हैं। इस मौके पर पारंपरिक सुआ नृत्य और डंडा नृत्य भी गांव-गांव में देखने को मिल रहा है।
धान की खेती पूरी होने के बाद धान की मिसाइ कर उसे घर में सुरक्षित रखने के बाद मनाया जाने वाला अन्नदान का महापर्व छेरछेरा की धूम जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में देखने को मिल रही है। पूस माह की पूर्णिमा को छत्तीसगढ़ में छेरछेरा पुन्नी या छेरछेरा त्योहार के नाम से भी जाना जाता है। यह त्योहार तब मनाया जाता है, जब किसान अपने धान की नई फसल को काटकर उसका घरों में भंडारण कर चुके होते हैं। इसी भंडारित धान में से अन्नदान करने की परंपरा वर्षों से चली आ रही हैं।
ग्रामीण टोली बना-बनाकर घर-घर जाकर अन्नदान लेते हैं। घर के बाहर आवाज लगते हैं ‘माई छेरछेरा कोठी के धान ला हेर हेरा’। लगातार घर के बाहर इस तरह की पुकार करने के बाद घर की महिलाएं अन्नदान करती हैं। अन्नदान में देरी होने पर टोली के लोग ‘अरण-बरन कोदो दरन, जब्बे देबे तब्बे तरन’ की पुकार लगते हैं, जिसका मतलब है जब अनाज मिलेगा तभी यहां से जाएंगे। इस दिन शाकंभरी देवी और अन्नपूर्णा देवी की पूजा की जाती है, जो अनाज की देवी हैं।






