स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर परोसा गया कीड़ों से भरा चना


0 बच्चों के स्वास्थ्य से किया जा रहा खिलवाड़,ग्रामीणों में भारी आक्रोश
कोरबा ,जहां एक ओर पूरा देश आजादी का अमृत महोत्सव मनाते हुए स्वतंत्रता दिवस की खुशियों में डूबा रहा, वहीं कोरबा जिले से बच्चों के भविष्य और स्वास्थ्य से खिलवाड़ का गंभीर मामला सामने आया है।
जानकारी के अनुसार 15 अगस्त को शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला मुड़ापार में स्वतंत्रता दिवस समारोह धूमधाम से मनाया गया। विद्यालय परिसर में राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया, छत्तीसगढ़ महतारी की प्रतिमा पर माल्यार्पण और दीप प्रज्ज्वलन कर पूजा-अर्चना की गई। शिक्षकों और जनप्रतिनिधियों ने बच्चों और क्षेत्रवासियों को स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं दीं। समारोह में सरपंच, पंच और ग्रामीण बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
परन्तु ध्वजारोहण के बाद जब बच्चों को नाश्ते में चना-चटपटी परोसी गई, तो उसमें कीड़े निकले। बच्चों ने बताया कि अक्सर उन्हें ऐसे ही भोजन दिया जाता है जिसके अंतर्गत कभी चावल में कीड़ा, तो कभी चना में कीड़ा निकलता हैं। बच्चों का कहना था कि अगर वे शिकायत करते हैं तो उन्हें डांट दिया जाता है, इसलिए मजबूरी में खराब खाना खाना पड़ता है।
जांच के दौरान जब परोसे गए चने को तोड़ा गया तो उसमें कीड़े भरे पाए गए। ग्रामीणों और अभिभावकों का कहना है कि इस तरह का भोजन बच्चों के स्वास्थ्य को गंभीर खतरे में डाल सकता है। लगातार कीड़ों वाला भोजन मिलने से बच्चों में गंभीर बीमारियां फैलने की आशंका है।
बताया जा रहा हैं की यह पहला मामला नहीं है जब इस विद्यालय की लापरवाही सामने आई हो। कुछ समय पहले भी विद्यालय की छत गिरने की घटना हुई थी, जिससे बच्चे बाल-बाल बचे थे। विद्यालय में न तो बच्चों के बैठने की पर्याप्त व्यवस्था है, न ही पढ़ाई का माहौल हैं। अब भोजन की गुणवत्ता पर भी सवाल उठने लगे हैं। मिड-डे मील योजना का संचालन एक स्व-सहायता समूह द्वारा किया जा रहा है। ग्रामीणों का आरोप है कि आपूर्तिकर्ता और समूह द्वारा मिलकर घटिया और सड़ा-गला भोजन परोसा जा रहा है, जिससे बच्चों का भविष्य खतरे में पड़ रहा है।
गांव के लोगों और अभिभावकों में गहरी नाराजगी है। उनका कहना है कि जब पूरा देश बच्चों के उज्ज्वल भविष्य की कामना करता है, तो यहां बच्चों को कीड़ों से भरा भोजन खिलाया जा रहा है। यह बच्चों के साथ घोर अन्याय और अपराध है। ग्रामीणों ने शासन-प्रशासन से इस मामले की निष्पक्ष जांच और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है। ग्रामीणों का कहना है कि अगर बच्चे बीमार पड़ते हैं तो इसकी जिम्मेदारी आखिर कौन लेगा ? दोषियों को किस तरह की सजा मिलेगी ? इस पूरे मामले ने प्रशासनिक तंत्र पर सवाल खड़े कर दिए हैं।