जिले के आरटीओ में दलाल राज में चल रहा हाईटेक दफ्तर, बिना रुपए के नहीं होता है काम


0 हस्ताक्षर के लिए हजारों रुपए लेते हैं अधिकारी
कोरबा, कहने को तो यहां सबकुछ कायदे और कानून के मुताबिक होता है मगर ये कायदे भी आम इंसान के लिए हैं और कानून भी। ड्राइविंग लाइसेंस बनाना, रजिस्ट्रेशन कराना हो या परमिट, टैक्स प्रक्रिया। इधर से उधर बस धक्के खाते रहो। मदद करना तो बहुत दूर, कोई अधिकारी या कर्मचारी सीधे मुंह बात तक नहीं करेगा। चाहे धक्के खाते हुए आपको एक दिन हो जाए या हफ्ताभर। हां, अगर आपने जेब से चंद नोट की ‘पत्तियां’ निकाल ली तो फिर कोई टेंशन नहीं। महज चंद मिनट में काम पूरा। टेंशन दूर करने के लिए मौजूद हैं दलाल। दलाल ही चपरासी का काम संभाल रहे और यही बाबू का भी काम। जिला जिला परिवहन कार्यालय कोरबा का हाल तो ऐसा ही है। क्योंकि हस्ताक्षर के लिए अधिकारी हजारों रुपए प्रत्येक फाइल एवज में लिया जाता है बिना ड्रेस ड्राइव के लाइसेंस भी बनाया जा रहा है क्योंकि वाहन मालिकों से एक मोटी रकम लेकर मामले को सुलझा लिया जाता है लाइसेंस व टैक्स की प्रक्रिया ऑनलाइन होने के बाद भी दफ्तर में ‘दलाल राज’ हावी है।


प्रदेश के मुखिया विष्णु देव भले लाख दावे करें कि, सरकारी कार्यालयों में भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं होगा, पर आरटीओ कार्यालय की तरफ शायद उनका ध्यान ही नहीं जाता। मुख्यमंत्री तो दूर खुद परिवहन मंत्री तक अपने विभाग में झांकने को राजी नहीं। अगर ऐसा होता तो शायद यहां चल रहे ‘खेल’ की कुछ परतें तो उधड़ती। विभाग का पहले यहां का सच मंत्रियों के नजरों में है , पर इसके बाद मंत्री ने भी यहां से आंखे फेर ली। ऐसे में यहां सबकुछ फिर पुराने ढर्रे पर आ गया। सुबह दफ्तर बाद में खुलता है, दलालों का काम दफ्तर के बाहर पहले शुरू हो जाता है।
हाथ में कागजों की फाइल लिए दलाल दफ्तर खुलते ही फाइलें टेबल पर पहुंचानी शुरू कर देते हैं। इनकी ‘हनक’ सिर्फ इसी बात से लगाई जा सकती है, अफसर कोई भी हो, ये बेधड़क उनके कक्ष में घुसकर फाइल टेबल पर रख देते हैं। आम इंसान घंटों बाहर बैठकर अधिकारी से मिलने का इंतजार करता रहता है, लेकिन दलालों को ‘मे-आइ-कम-इन’ तक पूछने की जरूरत नहीं। अपने धंधे के साथ सरकारी कामों में भी दलालों का बोलबाला है। अफसरों के कमरों से सरकारी फाइलें दूसरे कक्षों में ले जाना हो या लिपिकीय कार्य में कर्मियों की मदद। दलाल हर जगह मौजूद दिखेंगे। जहां दलालों का ही बोलबाला हो तो आप खुद समझ लिजिए कि बगैर चढ़ावा चढ़ाए काम कैसे होगा। क्योंकि अधिकारी को दलाल के माध्यम से ही प्रत्येक फाइल के लिए रुपए मिलता है