जयसिंह अग्रवाल ने बालको कूलिंग टाॅवर से प्रभावित शांतिनगर के 86 परिवारों को मुआवजा, पुनर्वास एवं रोजगार प्रदान करने के मुद्दे पर केन्द्रीय श्रम मंत्री को लिखा पत्र



कोरबा , बालको द्वारा निर्मित कूलिंग टाॅवर से शांतिनगर के प्रभावित 86 परिवारों को शासन के दिशा निर्देशानुसार मुआवजा एवं पुनर्वास और बालको प्रबंधन द्वारा लिखित में दिए गए आश्वासनों पर अमल करने के विषय पर प्रबंधन की उदासीनता पर पूर्व कैबिनेट मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने भारत सरकार के श्रम मंत्री मनसुख लाल मंडाविया को पीड़ित परिवारों राहत पहुंचाने हेतु पत्र लिखा है। पूर्व मंत्री द्वारा लिखे गए पत्र में स्पष्ट तौर पर लिखा गया है कि बालको कूलिंग टाॅवर निर्माण एवं प्रचालन से शांतिनगर के नागरिकों ने स्वास्थ्यगत परेशानियां का हवाला देते हुए धरना प्रदर्शन करते हुए पूर्व में अग्र आंदलन किया था जिसे संज्ञान में लेकर जन प्रतिनिधियों एवं जिला प्रशासन के दबाव में त्रिपक्षीय वार्ता वर्ष 2013 में हुई और प्रभावित 86 परिवारों की समस्याओं के समाधान के लिए संभावित विकल्पों पर बनी सहमति के साथ ही बालको परियोजना प्रमुख जे के मुखर्जी ने बालको प्रबंधन के मंतव्य से जिला प्रशासन को लिखित में अवगत कराया था। बालको प्रबंधन के पत्र के अनुसार व्यपवर्तित भूमि और सामान्य भूमि के साथ ही कच्चा एवं पक्का मकान के लिए शासन द्वारा निर्धारित दर पर मुआवजा राशि का आकलन किया जाएगा और चरणबद्ध रूप में मुआवजा राशि का भुगतान किया जाएगा। शासन को दिए गए पत्र के अनुसार मुआवजे की सम्पूर्ण राशि का भुगतान प्राप्त कर लेने व बालको के पक्ष में रजिस्टीª कर देने के बाद संबंधित परिवारों का उस संपत्ति पर से कब्जा शून्य हो जाएगा।
केन्द्रीय श्रम मंत्री को लिखे पत्र में आगे बताया गया है कि लगभग 12 साल से अधिक का समय बीत चुका है और अभी भी बालको प्रबंधन ने सभी परिवारों को मुआवजे का भुगतान नहीं किया है। शांतिनगर पुनर्वास समिति के सदस्यों ने जानकारी साझा करते हुए बताया कि अभी तक प्रबंधन ने 67 परिवारों को सम्पूर्ण भुगतान कर दिया है जबकि 19 परिवार ऐसे हैं जिनमें से कुछ को आंशिक भुगतान किया गया है तो कई अभी भी मुआवजा राशि प्राप्त की आशा में हैं लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि बालको प्रबंधन को उनकी पीड़ा से कोई सरोकार नहीं है। शांतिनगर के प्रभावित परिवारों के प्रतिनिधियों ने जानकारी दिया है कि वैसे तो विगत 8-10 सालों में बालको प्रबंधन को रोजगार प्रदान किए जाने विषयक प्रभावितों ने अनेक बार निवेदन किया है और हर बार प्रबंधन ने केवल मौखिक आश्वासन का झुनझुना ही पकड़ाया है। लगभग डेढ़ साल पहले कुल 39 योग्य और रोजगार प्राप्त करने के इच्छुक युवाओं की सूची प्रतिनिधियों द्वारा बालको प्रबंधन को सौंपी गई है जिस पर बालको के वरिष्ठ अधिकारी कोई बात नहीं करना चाहते और कनिष्ठ अधिकारियों के हवाले से कार्य हो जाएगा जैसे जुमले सुनने को मिलते हैं।
मुलाकात करने वाले शांतिनगर के प्रतिनिधियों ने बताया कि उन सभी ने प्रबंधन के सामने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि बालको कम्पनी में सीधे तौर पर भले ही नियोजित न किया जा सके परन्तु बालको संयंत्र में स्थायी प्रकृति के प्रचालन और अनुरक्षण विभागों का कार्य करने वाली सहयोगी कम्पनियों में ही यथायोग्य रोजगार उपलब्ध करा दिए जाने से भी उनकी रोजी रोटी की समस्या का समाधान हो जाएगा। ऐसा प्रतीत होता है कि हर मामले को गंभीरता से न लेने की बालको प्रबंधन की आदत और वायदा खिलाफी की प्रवृत्ति ने इस मामले को भी ठंडेे बस्ते में डाल दिया है।
जयसिंह अग्रवाल ने केन्द्रीय श्रम मंत्री से आग्रह किया है कि बालको में भारत सरकार की 49 प्रतिशत की हिस्सेदारी आज भी कायम है, अतएव सरकार मानवीय संवेदना के तहत पीड़ित परिवारों से प्राथमिकता के आधार पर युवाओं को यथा योग्य रोजगार प्रदान करने हेतु भारत सरकार हस्तक्षेप कर बालको प्रबंधन को निर्देशित करेे।